निकाल लूं बेज़ार पत्थर बकरियों के पेट से. और बना दूं ड्रैगन बोन से आज तक की हड्डियों को। निकाल लूं बेज़ार पत्थर बकरियों के पेट से. और बना दूं ड्रैगन बोन से आज तक की हड...
सोच रहा हुँ थोड़ा बदल के देखूँ फर्ज़ की क़ैद से निकल के देखूँ। सोच रहा हुँ थोड़ा बदल के देखूँ फर्ज़ की क़ैद से निकल के देखूँ।
यह ज़िन्दगी है कई रंग दिखलायेगी । यह ज़िन्दगी है कई रंग दिखलायेगी ।
उस पर मेरी उस पर मेरी
तुम हो ऐसे वीर कि शिला को पिघला सकते होंहै तुम में शक्ति कि पानी में आग लगा सकते हों, तुम हो ऐसे वीर कि शिला को पिघला सकते होंहै तुम में शक्ति कि पानी में आग लगा सकते...
प्रस्तुत काव्य कवयित्री लिखित एवं निर्मित "पावन पौधा प्रीत का" नामे काव्यसंग्रह का संग्रहित भाग हैं प्रस्तुत काव्य कवयित्री लिखित एवं निर्मित "पावन पौधा प्रीत का" नामे काव्यसंग्रह...